साहसी राजकुमारी
सहसी राजकुमारी
एक शहर में ये छोटा सा परिवार रहता था चंद्रनादनी का परिवार चांदनादनी के पिता का नाम राजेश था और मां का नाम उर्मिला था चंद्रनादनी का ये भाई वी था हर्षित चांद्रनादनी चंद्र की तरह सीतल थी चंद्रनादनीके पिता को उसकी सादी की चिंता सत रही थी की दूर दुर से चंद्रनादनी के लिए रिस्ते आने लगे एक दिन रोहित का रिस्ता चंद्रनादनी के लिए आया रोहित के पिता ने चंद्रनादनी का हाथ अपने बेटे रोहित के लिये मागा सबको रिस्ता पसंद आ गया और गोनो का मेल करबके विवाह की तारिक निकलबा ली चंद्रनादनी को भी रोहित बहुत अच्छा लगा फिर धूम धाम से दोनो की सदा कराई अब बिदाई का समय पास आ रहा था आखो मे नमी लिए मा समझ रही थी की अब तेरा ससुराल ही तेरा घर हैं तुझे बो घर सम्भलना है चंद्रानदनी भी अपनी अखो में सपने सजय अपने घर को बिदा हो रही थी चंद्रनादनी को भगवान ने अपार खुशिया दे दी थी धीरे धीरे समय बित गया और चंद्रनादनी रोहित से बहुत प्यार करने लगी थी अब समय का पाहिया अपनी रफ़्तार लिए चलता ही जा रहा था अचानक चन्द्रनान्दनी को कमजोरी महसूश होने लगी और उसने अपने भाई हर्षित से कहा की बो उसे ले जाये हर्षित उसे ले आया अब चंद्रनादनी अपने मयके में थी एक दिन अचानक चंद्रनादनी को चक्कर आ गया चंद्रनादनी की मा घबड़ा गई और डा.को बुलाया डा.ने कहा की घबराने वाली कोई बात नहीं है आप नानी बनने बाली हो मा बहुत खुश थी घर में ये बात जब सबको पता चली तो सब खुस थे चंद्रनादनी के ससुराल बालो को खबर दी बहा वी सब खुश थे अब चंद्रनादनी के ससुर जी चंद्रनंदनी को लेने आ रहे थे पर उसकी तबियत अच्छी नहीं थी फिर चंद्रनंदनी के कॉलेज की परीक्षा आ गई और फिर अपने मयके आ गया कुछ दिन में परीक्षा खतम हुई या चंद्रानंदनी वी अब खुद को अच्छा महसूस कर रही थी फिर वह अपने ससुरल चली गई अब सबका ख़याल रखना रोहि त से और उसके परिवार से बहुत प्यार करती मानो अब चंद्रनंदनी अब उस रंग में मुझे रंग गई थी सबसे घुल मिल गई थी सबको अपना मन्ने लगी थी की एक दिन कुछ ऐसा हुआ जिसने चंद्रनंदनी को हिला के रख दिया। देखा जिस पर बेह चाह कर वी भरोसा नहीं कर पा रही थी पर सच तो सच होता पर उसे अब भी विश्वस नहीं हो रहा था की बो इन्सान जिस से चंद्रनादनी खुद से ज्यादा प्यार और भरोसा करती हैं बो इतना दुख देगा वह बहुत रोई पर उसके आसु किसी को नजर न आया बह बहा घुट रही थी तकलीफ में थी कामजोर हो रही थी साथ में चंद्रानंदनी के गर्भ में पल रहा बो बच्चा वी कामोर हो रहा था फिर वह अपने मयकै आ गई जब यह बात रोहित को पता चलती है तो यह कहता है ऐसा कुछ नहीं तुम झूठ बोल रही हो फिर चंद्रनंदनी रोहित को सारी बात बताई रोहित और चंद्रानंदनी के विच बहुत झगड़ा होता ये बहुत बड़ा होता है। इनके हसते खैलते परिवार को आग लगाने बली राधा बहुत ही खुस हो रही थी की अब दोनो का रिस्ता टूट जाएगा पर भगवान को ये मंजुर नहीं था कुछ दिन मे चंद्रनादनी ने एक लडके को जनम दिया और उसके ससुराल बाले बहुत खुश थे वह बीती बाते भूला ही रही थी कि समय ने फिर ऐसा मोड लिया की चंद्रनादनी जितना प्यार रोहित से करती थी बो प्यार खो गया मानो उसके अंदर ही दफान हो गया रोहित ने एक नहीं कई बार चन्द्रनन्दनी को धोखा दिया अब वह अकेले रहना शिख चुकी थी अपने बेटे का ख्याल रख रही थी अपने पेरो पर खाड़ी हो चुकी थी चंद्रनंदनी ने अपनी पड़ई बीएससी नरसिंग से की थी या बेह एक नरश बन चुकी थी । उसने अपने बेटे को पड लिखना अछ्छे संसकर देना सब चंद्रनंदी ने अपनी जिमेदारिया नीभाई थी और अब रोहित से दूर थी और अपने बेटे के साथ खुश थी अब उसे किसी के लोटने का। इंतजार नहीं था और न ही चाहती थी कि रोहित उसकी जिंदगी में बपीश आए बे अपने बेटे के साथ खुश थी।
ये है रश्मि की कहानी रश्मि की जुबानी सपने देखे थे सपने टुट गये मेरे अपने ही मुझसे रूठ गये
Ali Ahmad
28-May-2022 09:56 AM
बहुत खूब
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Gunjan Kamal
25-May-2022 04:06 PM
शानदार प्रस्तुति 👌🙏🏻
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Seema Priyadarshini sahay
25-May-2022 02:04 PM
बेहतरीन रचना
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